अल्फा' से पहले ये 5 महिला-प्रधान फिल्में जरूर देखें!

मदर इंडिया (1957) मेहबूब खान की इस क्लासिक फिल्म में नरगिस ने 'राधा' का किरदार निभाया — एक मां जो संघर्षों के बावजूद अपने सिद्धांतों पर अडिग रहती है। आज भी यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे मजबूत महिला किरदारों में गिनी जाती है।

इंग्लिश विंग्लिश (2012) श्रीदेवी की वापसी वाली इस फिल्म में एक घरेलू महिला की कहानी है जो न्यूयॉर्क में इंग्लिश सीखते हुए आत्मसम्मान पाती है।

द डर्टी पिक्चर (2011) विद्या बालन ने 'सिल्क स्मिता' के बोल्ड किरदार को दमदार तरीके से निभाया। उनका डायलॉग — *"मैं एंटरटेनमेंट हूं!"* — आज भी फैंस के दिलों में गूंजता है।

पिंक (2016) तापसी पन्नू और अमिताभ बच्चन स्टारर यह कोर्टरूम ड्रामा समाज में महिलाओं की आज़ादी और सहमति की आवाज़ उठाता है। डायलॉग: *"नो का मतलब नो होता है!"* — आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

क्वीन (2013) कंगना रनौत की ‘रानी’ अकेले हनीमून पर जाती है और दुनिया के साथ खुद को भी खोजती है। फिल्म सिखाती है — ज़िंदगी खत्म नहीं होती, नई शुरुआत भी हो सकती है।