मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर के प्रस्तावित शिलान्यास समारोह को मिली अनुमति, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
विवाद की शुरुआत: नाम और तारीख ने बढ़ाया तनाव
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में प्रस्तावित एक मस्जिद को लेकर राजनीतिक और सामाजिक विवाद गहरा गया है। मस्जिद का प्रस्तावित नाम “Babri Masjid” रखा गया है और इसका शिलान्यास 6 दिसंबर को तय किया गया था।
यह वही तारीख है जब 1992 में अयोध्या की Babri Masjid ढहाई गई थी। इसी वजह से इस प्रस्ताव ने माहौल को संवेदनशील बना दिया और कई समूहों ने अदालत में याचिका दाखिल कर समारोह पर रोक लगाने की मांग की।
हाई कोर्ट का फैसला: धार्मिक नामकरण में न्यायिक हस्तक्षेप उचित नहीं
कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में हस्तक्षेप से साफ मना कर दिया। अदालत ने कहा कि मस्जिद निर्माण संबंधी आयोजन एक धार्मिक प्रक्रिया है, जिस पर अदालत सीधा प्रतिबंध नहीं लगा सकती।
हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पूरे इलाके में कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए सभी कदम उठाए और किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए सतर्क रहे।
प्रशासन अलर्ट: मुर्शिदाबाद में सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम
मुर्शिदाबाद प्रशासन और पुलिस ने आयोजन स्थल के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए हैं।
- इलाके को हाई-सिक्योरिटी जोन घोषित किया गया
- RAF, BSF और स्थानीय पुलिस की संयुक्त तैनाती
- मुख्य मार्गों पर लगातार पेट्रोलिंग
- भीड़ नियंत्रण और निगरानी के लिए अतिरिक्त कैमरा कवरेज
यह भी बताया गया कि इस क्षेत्र में पहले से ही 19 CAPF कंपनियाँ तैनात हैं, जो पिछले दंगों के बाद लगातार ड्यूटी पर हैं।
TMC विधायक का विवादित बयान, पार्टी ने किया निलंबित
इस मस्जिद का प्रस्ताव देने वाले टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर को उनकी पार्टी ने निलंबित कर दिया है।
उनके बयान, जिसमें उन्होंने “Babri Masjid बनाए जाने” की घोषणा की थी, को टीएमसी नेतृत्व ने अनुशासनहीनता और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला बताया।
कबीर ने अदालत में यह लिखित आश्वासन भी दिया है कि वह किसी भी तरह की बयानबाजी से दूर रहेंगे और शांति बनाए रखने में सहयोग करेंगे।
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विपक्ष का आरोप: संवेदनशील मुद्दे का इस्तेमाल कर रही सरकार
विपक्षी दलों ने इस घटना को राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि संवेदनशील तारीख पर ऐसे आयोजन करवाना जानबूझकर तनाव पैदा करने की रणनीति है। विपक्ष ने हाई कोर्ट में रोक की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इसे राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी बताया।
राजनीतिक महत्व: बंगाल में धर्म और राजनीति की नई खाई
बंगाल में पहले भी धार्मिक विवादों ने राजनीतिक दावों को हवा दी है।
लेकिन इस बार “Babri Masjid” जैसा नाम और 6 दिसंबर की संवेदनशील तिथि इसे राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि:
- इस आयोजन को लेकर दोनों समुदायों की भावनाएं गहरी हैं
- प्रशासन की ओर से किसी भी छोटी चूक से बड़ा विवाद उत्पन्न हो सकता है
- राजनीतिक दल इसे चुनावी मंच पर मुद्दा बना सकते हैं
निष्कर्ष: अदालत नहीं, प्रशासन की परीक्षा
हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब पूरा दारोमदार राज्य प्रशासन पर है।
सरकार के लिए यह एक परीक्षा है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता, संवेदनशीलता और कानून-व्यवस्था — तीनों के बीच संतुलन कैसे बनाए रखती है।
समारोह शांतिपूर्ण रहेगा या राजनीतिक तनाव बढ़ेगा — यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
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