वृंदावन के पूजनीय संत Premanand Maharaj इन दिनों अपनी बिगड़ती सेहत के चलते चर्चा में हैं। गंभीर किडनी रोग से जूझ रहे महाराज ने अपनी तबीयत खराब होने के बावजूद भक्तों को एक भावुक और प्रेरणादायक संदेश भेजा है। उनका यह संदेश भक्तों के लिए आशा और भक्ति की नई ज्योति लेकर आया है।
Premanand Maharaj का भावुक संदेश: “घबराहट है, पर कृपा बहुत है”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संत Premanand Maharaj ने अपने स्वास्थ्य को लेकर कहा –
“कष्ट तो है, घबराहट भी है, लेकिन बहुत कृपा है। हम बहुत अच्छे हैं। आप सब प्रसन्न रहिए, जल्दी ही मिलेंगे।”
उनका यह संदेश भक्तों को चिंता छोड़कर ‘प्रसन्नता से नाम जप’ करने की प्रेरणा दे रहा है।
महाराज की यह सकारात्मक सोच दर्शाती है कि शारीरिक कष्ट के बावजूद उनका मन केवल भक्ति और राधारानी की कृपा में स्थिर है।
स्वास्थ्य स्थिति: रोजाना हो रही है डायलिसिस
रिपोर्ट्स के अनुसार, संत Premanand Maharaj पिछले लंबे समय से Polycystic Kidney Disease (पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज) से पीड़ित हैं। यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिससे उनकी दोनों किडनियां प्रभावित हो चुकी हैं।
पहले उन्हें सप्ताह में पांच बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन अब डायलिसिस रोजाना किया जा रहा है, जो उनकी हालत की गंभीरता को दर्शाता है।
आश्रम में ही चल रहा इलाज
महाराज वर्तमान में श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं, जहां उनके निवास स्थान पर ही विशेष चिकित्सा व्यवस्था की गई है।
यहां छह डॉक्टरों की टीम उनकी देखरेख कर रही है, जिनमें एक ऑस्ट्रेलियाई हृदय रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं।
भक्तों को भक्ति का संदेश
स्वास्थ्य चिंताओं के बीच भी महाराज ने अपने भक्तों को संदेश दिया –
“आप सब प्रसन्नता के साथ नाम जप कीजिए। कष्ट तो है, पर कृपा बहुत है। हम अच्छे हैं, अब सब खुश रहिए। जल्द ही मिलेंगे।”
उनके इस संदेश से स्पष्ट है कि बीमारी ने उनके मनोबल को नहीं तोड़ा है, बल्कि उन्होंने इसे भक्ति की शक्ति में बदल दिया है।
किडनी दान के प्रस्ताव भी आए
महाराज के प्रति भक्तों की श्रद्धा इतनी गहरी है कि कई लोगों ने उन्हें किडनी दान करने की इच्छा जताई है।
हाल ही में अभिनेता शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा ने महाराज से मुलाकात कर उन्हें किडनी देने का प्रस्ताव दिया था।
इसके अलावा इटारसी के आरिफ खान चिश्ती और दिनेश फलहारी बाबा (श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले के याचिकाकर्ता) ने भी अपनी किडनी दान करने की पेशकश की, लेकिन महाराज ने सभी प्रस्तावों को विनम्रता से ठुकरा दिया।
कौन हैं संत Premanand Maharaj?
Premanand Maharaj का जन्म कानपुर के आकरी गांव में अनिरुद्ध कुमार पांडे के रूप में हुआ था।
केवल 13 वर्ष की आयु में उन्होंने गृहस्थ जीवन त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया।
उन्होंने काशी में गुरु गौरी शरण जी महाराज के सान्निध्य में 15 महीनों तक कठोर साधना की।
बीमारी के बावजूद वे वृंदावन में रहकर आज भी राधा नाम जप में लीन रहते हैं।
महाराज अपनी दोनों खराब किडनियों को भी स्नेहपूर्वक ‘कृष्णा’ और ‘राधा’ कहकर पुकारते हैं, जो उनकी भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
निष्कर्ष
संत Premanand Maharaj की जीवन यात्रा यह सिखाती है कि भक्ति और सकारात्मकता हर कठिनाई पर विजय पा सकती है।
उनकी बीमारी भले ही गंभीर हो, पर उनका आत्मविश्वास और श्रद्धा आज भी लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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