Priya Kapur ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा: विदेश स्थित संपत्तियों पर अदालत रोक नहीं लगा सकती

उद्योगपति सुंजय कपूर की संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में उनकी पत्नी Priya Kapur ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि वह अमेरिकी और ब्रिटिश न्यायक्षेत्र में आने वाली संपत्तियों पर रोक लगाने का अधिकार नहीं रखता। सुंजय कपूर की मृत्यु के बाद उनकी वसीयत, विदेशी संपत्तियों और परिवार के विभिन्न दावों को लेकर मामला जटिल होता जा रहा है।

विदेशी संपत्तियों पर रोक का सवाल: Priya Kapur का कानूनी तर्क

Priya Kapur ने अदालत में साफ कहा कि अमेरिकी और ब्रिटिश कानूनों के तहत वहां स्थित संपत्तियों पर भारतीय अदालत का सीधा हस्तक्षेप संभव नहीं है। उनकी ओर से दलील दी गई कि:

  • विदेश में स्थित संपत्तियाँ अलग कानूनी ढांचे के दायरे में आती हैं
  • भारतीय उच्च न्यायालय इन संपत्तियों पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकता
  • विदेशी संपत्तियों का दावा वहीं के कानूनों के तहत निपटाया जाएगा

यह तर्क इस विवाद को भारतीय अधिकारक्षेत्र बनाम विदेशी अधिकारक्षेत्र के बड़े कानूनी प्रश्न से जोड़ देता है।

क्या वाकई जानकारी छिपाई गई? प्रिया कपूर ने पेश किए दस्तावेज

Priya Kapur ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने:

  • सुंजय कपूर की सभी चल-अचल संपत्तियों का विवरण जमा कर दिया है
  • बैंक खाते, निवेश और शेयर होल्डिंग से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी कोर्ट में पेश की है
  • इस दावे को खारिज किया कि किसी संपत्ति या राशि को विदेश भेजा गया है

उनका कहना है कि इस विवाद को अनावश्यक रूप से सनसनीखेज बनाया जा रहा है, जबकि पूरा हिसाब-किताब अदालत के सामने है।

करिश्मा कपूर के बच्चों और कपूर परिवार की आपत्तियाँ

दूसरी ओर सुंजय कपूर की पूर्व पत्नी करिश्मा कपूर के बच्चे और उनकी मां रानी कपूर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि:

  • सुंजय कपूर की वसीयत संदिग्ध है और इसमें कई विसंगतियाँ हैं
  • वसीयत में बच्चों और मां को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है
  • Priya Kapur द्वारा विदेशी संपत्तियों को ट्रांसफर करने की आशंका है
  • संपत्तियों की सुरक्षा के लिए उन्हें अंतरिम राहत दी जानी चाहिए

परिवार की ओर से अदालत में यह भी कहा गया कि वसीयत को “भरोसेमंद” नहीं माना जा सकता और उसकी फोरेंसिक जांच जरूरी है।

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अदालत का दिशानिर्देश: पूरी पारदर्शिता जरूरी

दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा:

  • Priya Kapur सभी संपत्तियों की विस्तृत सूची सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को दें
  • इस सूची में भारत और विदेश दोनों में स्थित संपत्तियों का रिकॉर्ड शामिल हो
  • सभी पक्ष अपने-अपने जवाब लिखित में दाखिल करें
  • अगली सुनवाई निर्धारित तिथि पर की जाएगी

अदालत ने स्पष्ट संकेत दिए कि यह मामला पारदर्शिता और प्रमाणों पर आधारित होगा।

विवाद का व्यापक महत्व: एक परिवार, एक वसीयत और अंतरराष्ट्रीय कानून की जटिलताएँ

यह संपत्ति विवाद सिर्फ एक पारिवारिक टकराव नहीं है। इसमें कई बड़े मुद्दे शामिल हैं:

  • वसीयत की वैधता
  • अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों पर अधिकार
  • भारतीय और विदेशी न्यायक्षेत्र की सीमाएँ
  • पारिवारिक दावे और कानूनी वास्तविकताएँ

संपत्ति की मात्रा, विदेश में स्थित परिसंपत्तियाँ और पुराने पारिवारिक संबंध इस मामले को और अधिक संवेदनशील बना देते हैं।

विशेष विश्लेषण: क्या यह मामला भारत में संपत्ति कानून को नया दिशा दे सकता है?

यह विवाद उन मामलों में शामिल है, जिनके माध्यम से आने वाले समय में यह निर्धारित हो सकता है कि:

  • विदेशी संपत्तियों के संदर्भ में भारतीय अदालतें किस सीमा तक आदेश दे सकती हैं
  • वसीयत से जुड़े विवादों में कोर्ट किस स्तर तक हस्तक्षेप कर सकती है
  • पारिवारिक दावों और कानूनी अधिकारों का संतुलन कैसे बनाए रखा जाए

यह मामला आगे चलकर कानूनी मिसाल भी बन सकता है।

निष्कर्ष

Priya Kapur और सुंजय कपूर के परिवार के बीच यह विवाद अभी लंबा चलने की संभावना है। अदालत का जोर पारदर्शिता और प्रमाणिकता पर है। जैसे-जैसे आगे सुनवाई होगी, यह स्पष्ट होगा कि संपत्तियों का वास्तविक अधिकार किसे और किस कानून के तहत मिल सकता है।

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