Kaantha Movie Review: दुलकर सलमान की दमदार एक्टिंग ने संभाली कहानी, लेकिन फिल्म अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती

सेल्वामणि सेल्वराज की रेट्रो स्टाइल फिल्म Kaantha एक दिलचस्प प्रयोग है—फिल्म के भीतर एक और फिल्म का निर्माण, और उसमें उलझे रिश्ते, जुनून और अहंकार की टकराहट। दुलकर सलमान, भाग्यश्री बोर्से और समुथिरकनी ने शानदार अभिनय से फिल्म को मजबूती दी है, लेकिन कहानी कई बार अपनी लय खो देती है।

Kaantha कहानी: 1950 के मद्रास में सेट एक रहस्यमय सफर

1950 के दशक के मद्रास में Ayya (समुथिरकनी) को Modern Studios बुलाया जाता है ताकि वह अपनी अधूरी हॉरर फिल्म Saantha को जीवंत कर सकें।
Ayya अपनी मां कुमारी (भाग्यश्री बोर्से) पर आधारित किरदार को फिर से बड़ी स्क्रीन पर लाना चाहते हैं, लेकिन बाधा है — उन्हें अपने पूर्व शिष्य महादेवन (दुलकर सलमान) के साथ काम करना पड़ेगा।

दो पुरुषों के अहंकार की जंग धीरे-धीरे एक मर्डर मिस्ट्री में बदल जाती है। इंस्पेक्टर फीनिक्स (राणा दग्गुबाती) केस को सुलझाने की कोशिश करता है, जबकि महादेवन और Ayya एक-दूसरे पर शक कर रहे होते हैं।

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रिव्यू: फिक्शन और रियलिटी की धुंधली होती सीमाएं

फिल्म की शुरुआत ही रहस्य और तनाव से भरी है—अंधेरी गलियारे में कदमों की आवाज, चरमराता दरवाजा और अचानक चली गोलियां।
इसके बाद फिल्म अपने मेटा-फिल्म ऐंगल की तरफ बढ़ती है, जहां Ayya एक ऐसे आदमी की कहानी कहना चाहते हैं जिसने धोखे की कीमत चुकाई। वहीं महादेवन अपनी स्टारडम बचाना चाहते हैं।

यहीं से फिल्म फिक्शन और असलियत के बीच की रेखा धुंधली करने लगती है।

लेकिन कहानी जिस गहराई की मांग करती है, वहां कमजोर पड़ जाती है। विचार अच्छे हैं, निष्पादन अधूरा।

तकनीकी खूबसूरती: सिनेमैटोग्राफी और संगीत का असर

  • Dani Sanchez-Lopez की सिनेमैटोग्राफी फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण है।
    ब्लू स्काई, आर्ट डेको सेट्स और लाइट-शैडो के खेल के जरिए वह रेट्रो दुनिया को जीवंत कर देते हैं।
  • Jakes Bejoy का बैकग्राउंड स्कोर रहस्य और ड्रामा को बढ़ाता है।
  • गानों का असर मिश्रित है, लेकिन माहौल बनाने में सफल।

दुलकर सलमान: करिअर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक

महादेवन के किरदार में दुलकर सलमान अपने करियर की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस देते हैं।
उनका रेट्रो बॉडी-लैंग्वेज, भावनाओं की झलकियां, और सुपरस्टार स्टाइल—सब बेहद प्रभावी लगता है।

समुथिरकनी अपने अनुभव से किरदार में गहराई लाते हैं, जबकि भाग्यश्री बोर्से कहानी का भावनात्मक आधार बनती हैं।

कहां कमजोर पड़ती है Kaantha?

Kaantha फिल्म का भावनात्मक संघर्ष अहम है, लेकिन:

  • मध्य भाग में कहानी की रफ्तार धीमी पड़ जाती है
  • मर्डर मिस्ट्री वाला ट्रैक कमजोर लिखा गया है
  • राणा दग्गुबाती का किरदार फिल्म की दुनिया में फिट नहीं बैठता
  • कई दृश्य ऐसे लगते हैं जैसे जल्दबाज़ी में निपटाए गए हों

Kaantha फिल्म की टोन असमान है—कहीं बहुत ऊँचा, कहीं बहुत सपाट।

निष्कर्ष: शानदार अभिनय, खूबसूरत लुक—लेकिन अधूरी कहानी

Kaantha एक खूबसूरत लेकिन असमान फिल्म है।
यह जुनून, प्यार, ईगो और फिल्म इंडस्ट्री की अंदरूनी दुनिया को दिखाने की कोशिश करती है, लेकिन अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती।

फिर भी, दुलकर सलमान, समुथिरकनी और भाग्यश्री के अभिनय और फिल्म की विजुअल स्टाइल इसे देखने लायक जरूर बनाती है।

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