मध्य प्रदेश के महो (Mhow) में स्थित एक प्रमुख landmark “मौलाना की बिल्डिंग” पर कैंटोनमेंट बोर्ड ने अंतिम डिमोलिशन नोटिस जारी कर दिया है। यह बिल्डिंग Al Falah University के चेयरमैन मोहम्मद जवाद अहमद सिद्दीकी के परिवार की पैतृक संपत्ति मानी जाती है, जिसे 2000 के दशक की शुरुआत में परिवार ने छोड़ दिया था।
Al Falah University क्यों जारी हुआ नोटिस?
कैंटोनमेंट बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, इस चार मंजिला इमारत में कई अवैध निर्माण हुए हैं और इसकी मालिकाना हक़ कभी ट्रांसफर नहीं की गई।
कैंटोनमेंट इंजीनियर हरीशंकर कालोया ने पुष्टि की कि—
- इमारत अब भी स्वर्गीय मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी (जवाद सिद्दीकी के पिता) के नाम पर है
- नियमों के अनुसार, सुधार/रिपेयर की अनुमति सिर्फ पंजीकृत मालिक को ही मिल सकती है
- इसलिए पूरा स्ट्रक्चर अनधिकृत माना गया है
1990 के दशक में बनी यह इमारत इलाके में अपनी बड़ी खिड़कियों, विशाल बेसमेंट और ऊंचाई की वजह से काफी प्रसिद्ध है।
Al Falah University जांच के बीच कार्रवाई — परिवार पर बढ़ी नजर
कैंट बोर्ड की कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सिद्दीकी परिवार पर मल्टी-स्टेट फ्रॉड जांच का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
यह जांच तब और तेज हो गई जब हरियाणा के फरीदाबाद स्थित Al Falah Medical College के दो डॉक्टरों का नाम दिल्ली के 10 नवंबर रेड फोर्ट ब्लास्ट में संदिग्ध मॉड्यूल से जोड़ा गया।
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जवाद के भाई हमूद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी
इस सप्ताह पुलिस ने जवाद सिद्दीकी के छोटे भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया।
- हमूद (अब 50 वर्ष) पर 2000 में महो में दर्ज कई निवेश धोखाधड़ी के मामलों में लंबित वारंट था
- आरोप है कि उसने रिटायर्ड सेना और MES अधिकारियों सहित कई लोगों से फर्जी निवेश योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए जुटाए और फिर फरार हो गया
पुलिस के अनुसार,
- वह हैदराबाद के गाचीबौली में नई पहचान के साथ स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट फर्म चला रहा था
- अपनी पहचान छिपाने के लिए वह गैस सिलेंडर तक किसी और पते पर मंगवाता था
क्या आगे होगा?
डिमोलिशन नोटिस अंतिम चरण में है और बोर्ड ने साफ कर दिया है कि जब तक वैध स्वामित्व दस्तावेज नहीं दिए जाते, पूरी बिल्डिंग नियमों के विरुद्ध मानी जाएगी।
इस बीच, सिद्दीकी परिवार से जुड़े मुद्दों पर पुलिस, इंटेलिजेंस एजेंसियां और कई राज्य जांच कर रहे हैं।
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