मुख्यमंत्री Omar Abdullah ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की वकालत करते हुए एक प्रस्ताव को संबोधित किया तथा इस बात पर जोर दिया कि सच्ची शांति केवल विश्वास और समझ से ही आ सकती है, भय या धमकी से नहीं।
Omar Abdullah ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका में कदम रखा है, जो क्षेत्र के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। उनकी वापसी एक चुनौतीपूर्ण अवधि के बाद हुई है, जो अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ शुरू हुई थी, जिसने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति और स्वायत्तता को समाप्त कर दिया था।
Omar Focus on Statehood:
- राज्य के दर्जे पर ध्यान: अपने पहले संबोधन में उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह लक्ष्य सर्वोच्च प्राथमिकता होगी, जो केंद्र सरकार के साथ टकरावपूर्ण बयानबाजी से हटकर अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण की ओर जाने का संकेत है।
- समावेशी मंत्रिमंडल: अब्दुल्ला के मंत्रिमंडल में कश्मीर और जम्मू दोनों क्षेत्रों से संतुलित प्रतिनिधित्व झलकता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय विभाजन को कम करना है। उल्लेखनीय रूप से, पहली बार जम्मू क्षेत्र से एक उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के भीतर वंशवादी राजनीति की धारणाओं को चुनौती देता है।
Criticism from Rivals For Omar
अब्दुल्ला को अपने मंत्रिमंडल के राज्य के दर्जे के प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 की बहाली का उल्लेख न करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि वह अपने चुनाव पूर्व वादों से पीछे हट रहे हैं और 2019 में किए गए बदलावों को स्वीकार कर रहे हैं। कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने निराशा व्यक्त की है, उनका तर्क है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को केवल राज्य के दर्जे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय पूर्ण स्वायत्तता के लिए अधिक मजबूती से प्रयास करना चाहिए।