नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अपना विवादित फैसला बदलते हुए Sanchar Saathi ऐप का अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन वापस ले लिया है। अब कोई भी स्मार्टफोन कंपनी अपने नए फोनों में यह ऐप पहले से इंस्टॉल कर के नहीं देगी। उपयोगकर्ता चाहें तो इसे खुद डाउनलोड कर सकते हैं—और न चाहें तो बिल्कुल न इस्तेमाल करें।
क्या था सरकार का पुराना आदेश?
कुछ दिनों पहले DoT (Department of Telecommunications) ने देश भर में बिकने वाले नए स्मार्टफोनों में Sanchar Saathi ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश जारी किया था।
मकसद था—
- चोरी या नकली फोन की पहचान
- फ्रॉड कॉल-SMS की रिपोर्टिंग
- IMEI वेरिफिकेशन
- साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाना
लेकिन यह आदेश आते ही विवाद खड़ा हो गया।
गोपनीयता को लेकर बवाल, उद्योग जगत भी हुआ नाराज़
यह निर्देश आते ही सोशल मीडिया से लेकर टेक विशेषज्ञों तक तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।
- कई संगठनों और प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स ने इसे “सरकारी निगरानी का रास्ता” बताया।
- विपक्ष ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया।
- Apple समेत कई स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने इस निर्देश पर असहमति जताई और इसे तुरंत वापस लेने की मांग कर दी।
आलोचनाओं के बढ़ते दबाव के बाद सरकार को अपने रुख में बदलाव करना पड़ा।
सरकार का बयान: ‘Sanchar Saathi जासूसी ऐप नहीं है’
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कहा—
- Sanchar Saathi को “स्नूपिंग टूल” बताना गलत है।
- यह ऐप तभी सक्रिय होता है जब उपयोगकर्ता इसे खुद रजिस्टर और एक्टिवेट करता है।
- किसी भी फोन में इसे इस्तेमाल करना पूरी तरह स्वैच्छिक है।
- अगर कोई नहीं चाहता—तो ऐप इंस्टॉल न करे, या इंस्टॉल होने पर भी कभी इस्तेमाल न करे।
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इतने विरोध के बीच सरकार पीछे क्यों हटी?
सरकार ने बताया कि पिछले दिनों इस ऐप को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ी है।
- अब तक 1.4 करोड़ से अधिक डाउनलोड
- पिछले 24 घंटे में 6 लाख से ज्यादा नए रजिस्ट्रेशन
DoT का कहना है कि जब लोग स्वेच्छा से ऐप डाउनलोड कर रहे हैं, तो इसे अनिवार्य करना जरूरी नहीं।
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क्या है Sanchar Saathi ऐप?
यह ऐप नागरिकों को मदद देता है—
- फोन चोरी होने पर उसे ब्लॉक कराना
- फर्जी कॉल्स की शिकायत दर्ज करना
- फोन की असली IMEI जानकारी जांचना
- साइबर फ्रॉड से बचाव के टूल उपलब्ध कराना
सरकार का दावा है कि यह ऐप देश में मोबाइल फ्रॉड कम करने में काफी कारगर हो सकता है।
इस फैसले का जनता पर क्या असर?
- अब हर फोन में अनचाहा ऐप नहीं मिलेगा
- फोन खरीदते समय स्टोरेज और गोपनीयता का अतिरिक्त बोझ नहीं
- जो यूज़र सुरक्षा चाहते हैं—वे खुद ऐप डाउनलोड कर सकते हैं
- सरकार और उद्योग दोनों के बीच संतुलन की स्थिति बनी
कुल मिलाकर यह फैसला सरकार की टेक पॉलिसी में “यूज़र की सहमति” को प्राथमिकता देने की नई दिशा दिखाता है।
निष्कर्ष
सरकार का यह कदम स्पष्ट करता है कि भविष्य की डिजिटल नीतियों में गोपनीयता, पारदर्शिता और नागरिक अधिकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। Sanchar Saathi ऐप अब केवल उन्हीं के लिए है जो इसे उपयोगी मानते हैं—बाकी के लिए बिल्कुल वैकल्पिक।
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