टाटा मोटर्स ने भारतीय SUV सेगमेंट में बड़ा कदम उठाते हुए अपनी दो सबसे लोकप्रिय गाड़ियों—Harrier और Safari—को अब पेट्रोल इंजन के साथ पेश किया है। 2026 मॉडल ईयर के तहत लॉन्च किए गए इन वर्ज़न में कंपनी ने बिल्कुल नया 1.5-लीटर Hyperion टर्बो-पेट्रोल इंजन दिया है। हाल ही में इसकी पहली टेस्ट ड्राइव सामने आई है, जिसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह इंजन सिर्फ प्रचार है या वाकई गेम-चेंजर साबित होगा।
पेट्रोल पर क्यों फोकस कर रही है टाटा मोटर्स?
पिछले कुछ वर्षों में डीज़ल कारों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है और शहरों में पेट्रोल SUV की मांग लगातार बढ़ रही है। टाटा की Harrier और Safari अब तक मुख्य रूप से डीज़ल विकल्पों के लिए जानी जाती थीं। ऐसे में पेट्रोल वर्ज़न लाकर कंपनी ने उन ग्राहकों को भी साधने की कोशिश की है, जो शांत, रिफाइंड और शहर-फ्रेंडली इंजन चाहते हैं।
वही दमदार लुक, लेकिन अंदर से और ज्यादा प्रीमियम
डिज़ाइन की बात करें तो 2026 Harrier और Safari पेट्रोल में कोई बड़ा बाहरी बदलाव नहीं किया गया है। दोनों SUV पहले की तरह मस्कुलर और रोड-प्रेजेंस से भरपूर नजर आती हैं।
हालांकि केबिन के अंदर प्रीमियम फील को और बेहतर किया गया है। इसमें मिलता है:
- बड़ा 14.5-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम
- डॉल्बी एटमॉस सपोर्ट वाला प्रीमियम साउंड सिस्टम
- डिजिटल रियर-व्यू मिरर और इन-बिल्ट डैशकैम
- Safari में सेकंड रो के लिए ‘बॉस मोड’ जैसी आरामदायक सुविधा
ये फीचर्स इसे सेगमेंट में टेक्नोलॉजी के मामले में मजबूत बनाते हैं।

नया Hyperion पेट्रोल इंजन: आंकड़ों से ज्यादा अनुभव अहम
नई Harrier और Safari में दिया गया 1.5-लीटर Hyperion टर्बो पेट्रोल इंजन करीब 170 hp की पावर और 280 Nm का टॉर्क जनरेट करता है। यह इंजन मैनुअल और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन दोनों विकल्पों में उपलब्ध है।
पहली ड्राइव के दौरान इंजन का व्यवहार काफी रिफाइंड महसूस होता है। खासकर शहर की ड्राइविंग में यह शांत और स्मूद रिस्पॉन्स देता है। हाईवे पर भी इंजन बिना ज्यादा शोर किए स्थिर परफॉर्मेंस देता है।
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ड्राइविंग में क्या बदला?
ड्राइविंग अनुभव की बात करें तो पेट्रोल इंजन के कारण गाड़ी पहले से ज्यादा हल्की और बैलेंस्ड महसूस होती है। स्टीयरिंग कंट्रोल बेहतर है और सस्पेंशन सेट-अप लंबी दूरी के सफर को आरामदायक बनाता है।
हालांकि, कुछ स्थितियों में लो-स्पीड पर हल्का टर्बो-लैग महसूस हो सकता है, खासकर ऑटोमैटिक वेरिएंट में। यह कमी रोजमर्रा की ड्राइविंग में बहुत बड़ी नहीं है, लेकिन अनुभवी ड्राइवर इसे नोटिस कर सकते हैं।
माइलेज और NVH पर क्या कहना है?
पेट्रोल इंजन होने के बावजूद NVH (Noise, Vibration, Harshness) लेवल काफी नियंत्रित है। केबिन के अंदर इंजन की आवाज बहुत कम सुनाई देती है।
माइलेज को लेकर कंपनी ने आधिकारिक आंकड़े जरूर दिए हैं, लेकिन रियल-वर्ल्ड ड्राइविंग में यह डीज़ल वर्ज़न से कम रहने की संभावना है। यही वजह है कि लंबी दूरी और ज्यादा माइलेज चाहने वाले ग्राहक अब भी डीज़ल को प्राथमिकता दे सकते हैं।
Harrier और Safari पेट्रोल किसके लिए सही?
अगर आप:
- ज्यादातर शहर में ड्राइव करते हैं
- शांत और रिफाइंड इंजन चाहते हैं
- फीचर्स और टेक्नोलॉजी को प्राथमिकता देते हैं
तो Harrier और Safari का पेट्रोल वर्ज़न आपके लिए एक मजबूत विकल्प बन सकता है।
फाइनल वर्डिक्ट: हाइप या समझदारी भरा कदम?
2026 Tata Harrier और Safari का पेट्रोल अवतार सिर्फ “हाइप” नहीं है, बल्कि यह बदलते बाजार को ध्यान में रखकर उठाया गया एक सोच-समझा कदम है। नया Hyperion इंजन डीज़ल जैसा दमदार नहीं है, लेकिन रिफाइमेंट, फीचर्स और आराम के मामले में यह कई ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करता है। पेट्रोल SUV सेगमेंट में टाटा की यह एंट्री आने वाले समय में प्रतियोगिता को और तेज कर सकती है।
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