हब्बल्ली के Akshaya Patra किचन का कायाकल्प, 1.3 लाख छात्रों को मिलेगा ज्यादा सुरक्षित और पौष्टिक भोजन

हब्बल्ली (कर्नाटक):
देश के सबसे बड़े मिड-डे मील कार्यक्रमों में शामिल Akshaya Patra फाउंडेशन ने हब्बल्ली स्थित अपने केंद्रीय रसोईघर का व्यापक स्तर पर उन्नयन (ओवरहॉल) पूरा कर लिया है। इस सुधार का उद्देश्य भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता, ऊर्जा दक्षता और उत्पादन क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है, जिससे हर दिन 1.3 लाख से अधिक स्कूली बच्चों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके।

अत्याधुनिक कुकिंग सिस्टम से बदली रसोई की तस्वीर

रसोईघर के उन्नयन के तहत कई नई और अत्याधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं। इनमें शामिल हैं:

  • आठ डबल-जैकेटेड स्टीम ऑपरेटेड सांभर कड़ाही, जो समान तापमान पर भोजन पकाकर पोषण और स्वाद को बनाए रखती हैं
  • दस स्टीम आधारित चावल कड़ाही, जिनसे बड़ी मात्रा में चावल एकसमान गुणवत्ता के साथ तैयार होता है
  • गैस ऑपरेटेड करी मशीन, जिससे भोजन की निरंतरता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है

इन तकनीकी सुधारों से बड़े पैमाने पर भोजन तैयार करने की प्रक्रिया अधिक सुरक्षित और कुशल बन गई है।

कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए नया HVAC सिस्टम

Akshaya Patra किचन में एक नया HVAC (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) सिस्टम भी लगाया गया है, जो रसोई के तापमान और वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करता है। इससे न केवल कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण तैयार हुआ है, बल्कि खाद्य सुरक्षा मानकों को भी मजबूती मिली है।

बायोगैस से ऊर्जा, कचरे का भी हो रहा सदुपयोग

Akshaya Patra किचन में रोजाना निकलने वाले 200 से 300 किलोग्राम रसोई अपशिष्ट से बायोगैस तैयार की जा रही है। इस बायोगैस का उपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है, जिससे यह रसोईघर पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और टिकाऊ मॉडल के रूप में उभर रहा है।

विशाल पैमाने पर संचालन, हर दिन टनों में भोजन तैयारी

हब्बल्ली का यह Akshaya Patra केंद्रीय किचन प्रतिदिन बड़े पैमाने पर भोजन तैयार करता है:

  • 13 टन चावल, 3 टन दाल, 8 टन सब्जियां और 1,600 किलो तेल का उपयोग
  • चावल के भंडारण और सफाई के लिए 160-160 टन क्षमता के दो साइलो
  • दो आधुनिक चपाती मशीनों से रोजाना 50,000 चपातियों का उत्पादन
  • लगभग 140 कर्मचारियों की टीम पूरे संचालन को संभालती है

यह रसोई तीन मंजिला संरचना में काम करती है, जहां अलग-अलग स्तरों पर सामग्री की सफाई, भोजन पकाने और पैकिंग की व्यवस्था की गई है।

फूड सेफ्टी लैब से हर सामग्री की जांच

Akshaya Patra किचन में एक फूड सेफ्टी और क्वालिटी कंट्रोल लैबोरेटरी भी संचालित है, जहां कच्चे माल से लेकर तैयार भोजन तक की गुणवत्ता की जांच की जाती है। इससे बच्चों को मिलने वाले भोजन की सुरक्षा और पोषण स्तर सुनिश्चित होता है।

CSR सहयोग से मिला तकनीकी समर्थन

इस उन्नयन में माइक्रोफिनिश ग्रुप ने अपनी CSR पहल के तहत भारत में निर्मित नई कुकिंग कड़ाही और उपकरण उपलब्ध कराए हैं। यह सहयोग सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक सफल उदाहरण माना जा रहा है।

शिक्षा और पोषण के राष्ट्रीय लक्ष्य को मजबूती

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के आधुनिक किचन मॉडल मिड-डे मील योजना को केवल भोजन वितरण तक सीमित नहीं रखते, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, स्कूल उपस्थिति और सीखने की क्षमता पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

निष्कर्ष

हब्बल्ली स्थित Akshaya Patra किचन का यह उन्नयन केवल एक बुनियादी ढांचा सुधार नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी के पोषण और शिक्षा में निवेश है। तकनीक, स्वच्छता और स्थिरता के संयोजन से यह रसोईघर देश के अन्य मिड-डे मील केंद्रों के लिए एक आदर्श मॉडल बनकर उभरा है।

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